
‘पैलेस ऑफ वेस्टमिन्सटर’ समस्त विश्व में प्रजातन्त्र की जन्मभूमि कहा जाता है। इसको ‘हाउस ऑफ पार्लियामेंट’ भी कहते हैं। यह ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स’ तथा ‘ हाउस ऑफ कामन्स’, संसद के दो सदनों का सभास्थल है। वेस्टमिन्सटर लंदन नगर के मध्य थेम्स नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित तथा ऐतिहासिक स्थल वेस्टमिन्सटर ऐबे के समीप है।
ब्रिटेन की महारानी के अनेक राजप्रासादों में से एक है। हेनरी अष्टम तक ब्रिटेन के सभी सम्राट इसमें रहते थे। हेनरी ने बाद में अपना आधिकारिक निवास ‘व्हाइट पैलेस,सेंट जेम्स पैलेस’ में स्थानांतरित कर लिया था। सम्राट के स्थानांतरण कर लेने के बाद यह पार्लियामेंट के रूप में प्रयुक्त होने लगा था। शुरू से ही यह राजप्रासाद लंदन की राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा। सरकार के वेस्टमिन्सटर तंत्र का नाम इसी पर पड़ा।
पार्लियामेंट की प्रमुख संरचनाएँ हैं-बिगबेन घड़ी वाली अल्बर्ट मीनार से लगा वेस्टमिन्सटर हाल; उसी के समीप हाउस ऑफ कामन्स; उसके बाद हाउस ऑफ लॉर्ड्स तथा दूसरे छोर पर विक्टोरिया टावर।
वेस्टमिन्सटर हाल-

इन संरचनाओं में वेस्टमिन्सटर हाल सबसे पुराना है। आठ सौ साल पुराने इस हाल की ‘हैमरबीम’ पद्धति से निर्मित बरेंडी का सौंदर्य देखते ही बनाता है। अठारहवीं शताब्दी में निर्मित पार्लियामेंट की मूल इमारत उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ में ही जीर्ण-शीर्ण हो गयी थी। कई वर्षों तक ऐसे ही पड़ी रही। पुनर्निर्माण पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। अंततः प्रकृति ने ही इस समस्या का समाधान निकाल डाला। 1834ई की भीषण आग की लपटों में पार्लियामेंट जल कर राख़ हो गयी। बचा तो केवल वेस्टमिन्सटर हाल।
पुनर्निर्माण के अतिरिक्त कोई अन्य समाधान नहीं था। पुनर्निर्माण के लिए प्रस्तुत योजनाओं में से चार्ल्स बेरी की योजना स्वीकृत की गयी। चार्ल्स बेरी ने अभिलम्ब गोथिक स्थापत्यशैली में निर्माण करवाया। पुराने राजप्रासाद के स्थान पर भव्य विशाल संरचना निर्मित की गयी। इसमें 1100 कक्ष हैं जो विशाल आँगन की दो शृंखलाओं के इर्द-गिर्द निर्मित हैं। इस नयी संरचना का कुछ भाग 3.24 हेक्टेयर थेम्स पर स्थित है। इस भव्य संरचना को प्रख्यात गोथिक शिल्पी अगस्टस डब्ल्यू एन पूगीन ने सुसज्जित किया था।
दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी ने इस इमारत को नष्ट करने के कई प्रयास किए। वास्तव में वे टावर ब्रिज और पार्लियामेंट को नष्ट करना चाहते थे। किसी सीमा तक वे अपने उद्देश्य में सफल भी हो गए। ब्रिज तो बच गया लेकिन पार्लियामेंट पूरी तरह से नष्ट हो गयी। आश्चर्य की बात है कि इस बार भी वेस्टमिन्सटर हाल पर इस विभीषिका का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
विश्वयुद्ध की समाप्ति पर स्पीकर ने एक बार फिर नयी इमारत का शिलान्यास रखा। शिलान्यास के लिए ग्यारहवीं से लेकर उन्नीसवीं सदी तक की इमारतों में इस्तेमाल किए गए लकड़ी के उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था। वेस्टमिन्सटर हाल के समीप निर्धारित प्रारूप के अनुसार अत्याधुनिक भवनों का पुनर्निर्माण हो गया।
अविनाशी वेस्टमिन्सटर हाल ब्रिटेन के इतिहास की अनेक घटनाओं का मूक साक्षी है। प्राचीनतम इंग्लिश गिरजा, वेस्टमिन्सटर ऐबे का निर्माण करवाने वाले सम्राट ‘एडवर्ड दी कंफेसर’ की मृत्यु यहीं पर हुई थी। अनेक ऐतिहासिक महत्त्व के निर्णय यहीं पर लिए गए।
विक्टोरिया टावर-

वेस्टमिन्सटर में तीन प्रमुख टावर हैं। इनमें सबसे बड़ा और ऊंचा टावर ‘विक्टोरिया टावर’ है। इसकी ऊंचाई 98.5 मीटर है। यह पैलेस के दक्षिणी कोने में स्थित है। तत्कालीन सम्राट विलियम के सम्मान में इस टावर का डिज़ाइन चार्ल्स बेरी ने तैयार किया था। इसे पैलेस के शाही प्रवेशद्वार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और यह पार्लियामेंट के पुस्तक संग्रहालय के लिए अग्निरोधक का काम करता है। टावर के तल पर सम्राट के लिए प्रवेशद्वार है। सम्राट इस द्वार से प्रवेश कर पार्लियामेंट का उदघाटन करता है। इसकी ऊंचाई 15.2 मीटर है। मेहराबदार मार्ग कलाकृतियों से सज्जित है। इनमें सेंट जॉर्ज, एंड्रयू, पैट्रिक के अतिरिक्त महारानी विक्टोरिया की प्रतिमा भी है। विक्टोरिया टावर के मुख्य भाग में संसदीय लेखागार के तीस लाख दस्तावेज़ संरक्षित हैं। सबसे ऊपर लोहे से बनी पिरामिडनुमा छत पर ध्वज फहराया जाता है। सम्राट की उपस्थिती में सम्राट का व्यक्तिगत ध्वज तथा झण्डा दिवस पर व संसद के सदन की सभा के समय संघीय ध्वज फहराया जाता है।
बिग बेन-

पैलेस के दक्षिणी कोने पर एक अन्य प्रसिद्ध टावर ‘क्लाक टावर’ है। ‘बिग बेन’ के नाम से प्रसिद्ध यह टावर लंदन की पहचान है। बी.बी.सी के श्रोताओं ने ‘बिग बेन’ की आवाज़ अवश्य सुनी होगी। पार्लियामेंट के अल्बर्ट टावर में 1859ई में इस विशाल घड़ी की स्थापना की गयी थी। तब से आज तक यह घड़ी सुचारु रूप से चल रही है। इसके पेंडुलम का वज़न भले ही दो सौ किलो हो लेकिन घड़ी के समय में एक या आधे सेकेंड का अंतर करना हो तो पैसे के आकार की पेनी को इस्तेमाल किया जाता है। बिजली आने से पहले इसमें चाबी भरने में पाँच घंटे का समय लगता था। वज़न के हिसाब से यह ब्रिटेन की तीसरी सबसे बड़ी घड़ी है। इस का वज़न है 13.8 टन। क्लाक टावर के ऊपर रखी लालटेन आयरन लाइट है। यह केवल तभी जलती है जब अंधेरा हो जाने के बाद भी किसी न किसी सदन की बैठक चलती रहती है। 1885 ई में यह महारानी विक्टोरिया के अनुरोध पर लगाई गयी थी ताकि वे बकिंघम पैलेस से भी देख सकें कि सभी सदस्य उपस्थित हैं या नहीं।
अष्टकोणीय मध्य टावर-

पैलेस के केंद्र में स्थित है सेंट स्टीफन टावर। इसको ‘सेंट्रल टावर’ भी कहते हैं। यह पैलेस के तीन प्रमुख टावरों में सबसे छोटा है। इसकी ऊंचाई 91 मीटर है। दूसरे टावरों के विपरीत इसमें मीनार भी निर्मित है। यह सेंट्रल लॉबी के ठीक ऊपर स्थित है तथा अष्टकोणीय है।
आंतरिक संरचना-
पैलेस ऑफ वेस्टमिन्सटर में 1100 कक्ष, 100 सीढ़ियाँ और 4.8 किलोमीटर लम्बे 91 गलियारे हैं। ये चार मंज़िलों पर निर्मित हैं। ग्राउंड फ्लोर पर कार्यालय, डाइनिंग रूम,और बार है। पहली मंज़िल पर पैलेस के मुख्य कक्ष,वाद-विवाद कक्ष, लॉबी और पुस्तकालय है। ऊपरी दो मंज़िलों को कार्यालय और समिति कक्ष के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
प्रवेश द्वार-
एक मुख्य प्रवेश द्वार के स्थान पर अलग-अलग वर्गों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार बने हुए हैं। विक्टोरिया टावर मंज़िल पर टावर के दक्षिण-पश्चिम कोने की तरफ शाही प्रवेश द्वार है। यहाँ से शाही समारोह का आगमन होता है। शाही परम्पराओं के अनुसार संसद का उदघाटन होता है। इसमें शाही सीढ़ियाँ, नॉर्मन बरामदा, रोबिंग रूम,शाही गैलेरी तथा लॉर्ड का कक्ष है। यहाँ पर सभी शाही रस्में सम्पन्न होती हैं। हाउस ऑफ दी लॉर्ड्स के सदस्यों के लिए कुलीन प्रवेशद्वार है। यह पत्थर वाले बरामदे से हो कर जाता है और प्रवेश हाल में जा कर खुलता है। संसद के सदस्य प्रवेश द्वार से भीतर प्रवेश करते हैं। यहाँ कोलाइस्टर की नीचे वाली मंज़िल पर स्थित क्लाकरूम से हो कर पंहुचा जा सकता है। इमारत के पश्चिमी मुख्य द्वार के बीच में है सेंट स्टीफन द्वार। यह द्वार जनता द्वारा निर्वाचित सदस्यों के लिए है।
साम्राज्ञी का रोबिंग कक्ष-

साम्राज्ञी का रोबिंग कक्ष पैलेस के समारोह वाले हाल के दक्षिणी छोर पर स्थित है। जैसा कि नाम से प्रतीत होता है यहाँ पर साम्राज्ञी आधिकारिक पोशाक तथा सिर पर शाही मुकुट को धारण कर पार्लियामेंट की स्टेट ओपनिंग की घोषणा करती है। इस भव्य कक्ष मेंआकर्षण का केन्द्रबिन्दु सम्राट का सिंहासन है। सम्राट यहाँ तीन सीढ़ियों के ऊपर स्थित अपने सिंहासन पर स्कॉटलैंड, इंग्लैंड तथा आयरलैंड के सैनिकों की सुरक्षा में इन राष्ट्रों के फूलों के प्रतीक से सज्जित मंच पर आसीन होता है। कक्ष के चारों ओर अलंकृत पत्थरों से आग की जगह बनाई गयी है। यहाँ पर सेंट जॉर्ज , सेंट माइकेल की भव्य प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित हैं।
शाही गलियारा-
रोबिंग कक्ष के दक्षिण में शाही गलियारा है। यह पैलेस के विशाल कक्षों में से एक है। इसका मुख्य उद्देश्य पार्लियामेंट की स्टेट ओपनिंग के शाही जलूस को मंच उपलब्ध करवाना है। इस जलूस को सड़क के दोनों किनारों पर लगी खिड़कियों से बाहर से भी देखा जा सकता है। यहाँ पर विदेशी अतिथियों का स्वागत करने की व्यवस्था भी है। यहाँ पर दीवारों पर लगी पेंटिंग्स में ब्रिटिश सैन्य इतिहास के महत्त्वपूर्ण क्षण संरक्षित हैं। ऊपर लगी काँच की खिड़कियों पर इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के सैनिकों का सुंदर चित्रण है।
राजकुमार का कक्ष-

राजकुमार का कमरा शाही गलियारे और लॉर्ड कक्ष के मध्य निर्मित एक छोटा उपकक्ष है। यहाँ पर लॉर्ड्स के सदस्य हाउस से सम्बद्ध विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए आते हैं। इस कक्ष में टंगे चित्रों में ट्यूडर इतिहास का चित्रण है। 28 आयल पेंटिंग्स ट्यूडर शासन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं। इस कक्ष में महारानी विक्टोरिया की प्रतिमा भी स्थापित है ।

उनके दोनों ओर न्याय तथा दया की प्रतिमाएँ स्थित हैं। महारानी राजदंड और लारल के साथ सिंहासन पर बैठी हुई हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि साम्राज्ञी ही शासन तथा सरकार चलाती हैं।
लॉर्ड’स चैंबर-

हाउस ऑफ लॉर्ड’स का कार्यस्थल पैलेस ऑफ वेस्टमिन्सटर के दक्षिणी भाग में स्थित है। इस के कक्ष भव्य रूप से अलंकृत हैं। चैंबर में बैठने की सीटों के साथ-साथ महल के लॉर्ड’स वाले भाग का फर्नीचर लाल रंग का है। चैंबर के ऊपरी भाग को अलंकृत काँच की खिड़कियों तथा धर्म, शौर्य, व कानून का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यंजनात्मक भित्ति चित्रों से सजाया गया है। सभा के सदस्य तीन ओर लाल बेंचों पर बैठते हैं। अध्यक्ष के दायीं तरफ आध्यात्मिक सदस्य ( इंग्लैंड के स्थापित चर्च के आर्कबिशप तथा बिशप) तथा बायीं तरफ अस्थायी सदस्य बैठते हैं। सत्तापक्ष के सदस्य आध्यात्मिक पक्ष के साथ तथा विपक्ष के सदस्य अस्थायी सदस्यों के साथ बैठते हैं।
प्रतिदिन दोपहर के समय दो-तीन घंटे, आवश्यकता होने पर उससे भी अधिक टी.वी पर पार्लियामेंट की कार्यवाही का सीधा प्रसारण होता है।
वेस्टमिन्सटर ऐबे-

लंदन में वेस्टमिन्सटर पैलेस में गोथिक शैली में निर्मित विशाल गिरजाघर वेस्टमिन्सटर ऐबे है। यह वेस्टमिन्सटर पैलेस के पश्चिम में स्थित है। ब्रिटिश साम्राज्य के विशिष्ट पूजास्थलों में से एक तथा शाही परिवार के राज्याभिषेक का परम्परागत स्थल है। यह अब पूर्णरूप से राजपरिवार की निजी सम्पत्ति है। इस सम्पूर्ण क्षेत्र का विकास तथा निर्माण राजपरिवार ने किया है। अतः यहाँ पर राजा और धर्म को एकसाथ देखा जा सकता है।
सातवीं शताब्दी में पहले-पहल पंहुचे ईसाईयों ने थेम्स की तटीय थार्नी आइलैंड ( वर्तमान वेस्टमिन्सटर) पर एक छोटा सा लकड़ी का गिरजाघर बनवाया था। वह तीन-चार सौ साल तक तो जैसे-तैसे टिका रहा बाद में टूटने लगा। ग्यारहवीं शताब्दी में धर्मपरायण इंग्लिश सम्राट ‘एडवर्ड दी कंफेसर” ने देश की सत्ता संभाली। 1042-1052 ई के बीच पापमोचक एडवर्ड ने गिरजाघर के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू करवाया। रोमन शैली में निर्मित यह इंग्लैंड का पहला गिरजाघर था। 28 दिसंबर,1065 ई को इसकी विधिवत प्रस्थापना करवायी गयी। एक सप्ताह बाद 5 जनवरी, 1065 ई को एडवर्ड की मृत्यु हो गयी। एक सप्ताह बाद उनको गिरजाघर में ही दफना दिया गया। गिरजाघर का निर्माण कार्य 1090 ई में पूरा हुआ। नौ साल बाद एडवर्ड की पत्नी एडिथ को उनके बगल में दफना दिया गया। उनके उत्तराधिकारी हेराल्ड द्वितीय का राज्याभिषेक इसी गिरजाघर में हुआ था। विगत नौ सौ साल से इंग्लैंड के प्रत्येक राजा या महारानी का राज्याभिषेक इसी गिरजाघर में सम्पन्न होता आ रहा है।
वर्तमान गिरजाघर का निर्माण 1245 ई में हेनरी अष्टम के आदेश पर आरंभ हुआ था। उन्होने इस स्थान को अपनी कब्र के रूप में भी चुना था। 1503 ई में हेनरी सप्तम ने इसमें एक लम्बवत शैली में प्रार्थनाघर बनवाया जो वर्जिन मेरी को समर्पित था ।

इसको हेनरी सप्तम का प्रार्थनाघर अथवा लेडी प्रार्थनाघर भी कहा जाता है। इस के निर्माण के लिए अधिकांश पत्थर फ्रांस में केन, पोर्टलैंड में आइल तथा फ्रांस की ही लोइर घाटी से आयात किए गए थे। इसके भव्य पश्चिमी प्रवेश द्वार पर चित्ताकर्षक आकृतियाँ, प्रतिमाएँ उत्कीर्ण हैं।
अधिकांश महाराजा-महारानियों के विवाह इसी गिरजाघर में सम्पन्न हुए तथा जब तक यहाँ पर पर्याप्त स्थान उपलब्ध रहा वे यहीं पर समाधिस्थ रहे। एडवर्ड दी कंफेसर का नाम इनमें उल्लेखनीय है। इस संत सम्राट की स्मृति में ऐबे के भीतर एक छोटा सा मंदिर भी है। अब भी राजपरिवार के सदस्यों के विवाह यहीं पर सम्पन्न करने की परम्परा चली आ रही है।
इंग्लैंड का पहला छापाखाना ऐबे में ही शुरू हुआ था। शायद इसी लिए छपाई प्रमुख को ‘मास्टर’ के स्थान पर ‘फादर’ कहने का प्रचलन आरंभ हो गया।
यहाँ पर अज्ञात सैनिकों की स्मृति में एक प्रतीकात्मक स्मारक है, वहाँ युद्ध से न लौटे हुए जवानों की स्मृतियाँ मौजूद हैं।
उन्नीसवीं शताब्दी से पहले तक ऑक्सफोर्ड तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के बाद वेस्टमिन्सटर इंग्लैंड का तीसरा सबसे बड़ा विद्यालय था। यहीं पर किंग जेम्स बाइबिल, ओल्ड टेस्टामेंट के प्रथम तीन भाग तथा न्यू टेस्टामेंट के अंतिम आधे भाग का अनुवाद किया गया था। बीसवीं सदी में नयी बाइबिल को भी यहीं पर संग्रहीत किया गया। 15 नवम्बर, 1940 ई के ब्लीट्ज़ के कारण वेस्टमिन्सटर को मामूली क्षति पंहुची।
पोयट’स कार्नर-

ऐबे में ‘पोयट’स कार्नर’ प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। यहाँ पर अनेक महान कवि, दार्शनिक, राजनीतिज्ञ, राजनयिक, अनुसंधानकर्त्ता, कलाकार, सैनिक और वैज्ञानिक चिरनिद्रा में लीन हैं। इन में शेक्सपियर, चौसर,डीलन, थॉमस, डेविड, वर्ड्सवर्थ, डॉ.जान्सन उल्लेखनीय नाम हैं। 6 सितम्बर, 1997 ई को एलिज़ाबेथ की दूसरी बहू, वेल्स की राजकुमारी डायना स्पेन्सर का अंतिम संस्कार इसी गिरजाघर में किया गया था।
विश्व में अनेक शाही कब्रिस्तान हैं । कुछ कब्रिस्तान आकर्षक भी हैं। संभवतः यही एक ऐसा स्थान है जहां राजा अपने श्रेष्ठ प्रजाजनों के साथ विश्राम कर रहे हैं। राजा के साथ राजसी बड़प्पन जुड़ा है लेकिन किसी श्रेष्ठ लोकोत्तर व्यक्ति को भी यहाँ पर बराबर का स्थान मिलता है। यही है इस ‘थार्नी आइलैंड’ की विशेषता।
17 दिसम्बर, 2010 ई को पोप बेनेडिक्ट 16 इस गिरजाघर में आने वाले पहले पोप थे।
सेंट मारग्रेट’स चर्च, वेस्टमिंस्टर-

सेंट मारग्रेट चर्च वेस्टमिन्सटर के पार्लियामेंट स्क्वेयर में स्थित है। यह लंदन स्थित हाउस ऑफ कामन्स का चर्च है तथा एंटीओक की मारग्रेट को समर्पित है। पैलेस ऑफ वेस्टमिन्सटर , वेस्टमिन्सटर ऐबे के साथ इसको भी 1987 ई में यूनेस्को ने विश्वविरासत घोषित कर दिया था।
बेनेडिक्ट पादरियों ने ऐबे के आसपास के क्षेत्र में रह रहे सामान्य लोगो के देवस्थान के रूप में 12वीं शताब्दी में इस चर्च की स्थापना की थी। सम्राट हेनरी सप्तम ने इस के नवनिर्माण के आदेश दिये थे। 1482-1523 ई के माध्य इस का नवनिर्माण हुआ। 1523 ई में इसकी प्रतिस्थापना हुई थी। सुधारवादी प्रक्रिया शुरू होने से पहले यह लंदन का कैथोलिक परम्परा के रूप में प्रतिष्ठित अंतिम चर्च है। दोनों तरफ सेंट मेरी तथा सेंट जॉन की भव्य अलंकृत प्रतिमाएँ शोभायमान हैं। परिसर के भीतर कई अन्य गिरजाघर हैं।
1614 ई में सेंट मारग्रेट चर्च पैलेस ऑफ वेस्टमिन्सटर का निजी चर्च बन गया था। 1734-1738 ई के मध्य उत्तर-पश्चिमी टावर का पुनर्निर्माण किया गया। पूरी संरचना में पोर्टलैंड पत्थर लगाया गया। 1877ई में सर जॉर्ज गिल्बर्ट स्काट ने चर्च के भीतरी भाग का जीर्णोद्धार कर उसको वर्तमान भव्य स्वरूप प्रदान किया। ब्रिटेन में प्रतिवर्ष अक्तूबर में कोप्टिक आर्थोडॉक्स चर्च यहाँ पर नववर्ष की प्रार्थना सभा का आयोजन करता है। 2016 ई में बिशप एंगोलस ने यहाँ पर धर्मोपदेश दिया था। सेंट मारग्रेट चर्च का पादरी वेस्टमिन्सटर ऐबे का एक पादरी होता है।
यहाँ पर न केवल स्थानीय लोगों के विवाह सम्पन्न होते हैं अपितु अन्य वर्गों के लोगों के विवाह के लिए भी यह लोकप्रिय स्थान है। पार्लियामेंट के सदस्य, कुलीन वर्ग के लोग, हाउस ऑफ लॉर्ड’स तथा हाउस ऑफ कामन्स के सदस्य भी यहाँ पर बंधन में बंध सकते हैं।
1987 ई में पैलेस ऑफ वेस्टमिन्सटर तथा,वेस्टमिन्सटर ऐबे के साथ इसको भी विश्वविरासत के रूप में मान्यता प्रदान कर दी गयी थी। लंदन सम्पूर्ण विश्व के साथ सम्बद्ध है । यहाँ पर खान-पान, आवास की प्रत्येक सुविधा उपलब्ध है। वैसे भी लंदन एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
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प्रमीला गुप्ता