
पोलिश तथा रूसी चिरकाल तक यूक्रेन के सीमावर्ती प्रदेश पर आधिपत्य करने के लिए संघर्ष करते रहे। यहाँ की भूमि समतल व उपजाऊ है। पश्चिम में कार्पेथियन पर्वत और दक्षिण में क्रिमियीन प्रायद्वीप है। सदियों तक यह क्षेत्र आवागमन व व्यापार मार्ग के रूप में शाही आकांक्षाओं की आपूर्ति करता रहा। इसका प्रमाण 300 साल पुरानी राजसत्ता से पहले मिलता है। यूक्रेन के हेप्स्बर्ग साम्राज्य के सीमावर्ती नगर, पोलिश किले, तातार महल और काले सागर पर निर्मित पुरातन ग्रीक व जेनोआ की चौकियाँ इस बात की गवाह हैं।
वर्तमान में यूक्रेन अपने पुरातन समृद्ध इतिहास को खंगाल रहा है। इसका सर्वोत्कृष्ट उदाहरण यूक्रेन की राजधानी कीव है। रूसी कीव के वैभवशाली काल ,जब केवल कोंस्टेन्टिपोल का ही बोलबाला था, के बाद 1240 ई में तातारों और बातूखान ने कीव को पूरी तरह से तहस-नहस कर डाला था। उस समय की जनसंख्या तक पंहुचने में कीव को छह सदियाँ लग गयी। इस अवधि में कीव नगर लिथुनियनस,पोलिश तथा रूसी लोगों के साथ संघर्ष करता रहा। बहुत कठिनाई से 20वीं सदी में विश्वयुद्ध की दो विभीषिकाओं से अपने अस्तित्व को बचा पाया। कालचक्र पूरा होने के बाद अब कीव दोबारा भव्य यूरोपीय राजधानी के रूप में अपने आप को स्थापित करने के लिए सतत प्रयत्नशील है।
इतिहास-
कीव का प्रारम्भिक परिदृश्य दो महान सम्राटों–व्लादमीर दी ग्रेट और उसके पुत्र यरोस्ल्व दी वाइज़ के इर्द-गिर्द घूमता है। उनके नाम की दो गलियों के संगमस्थल से ऊपरी नगर की यात्रा आरंभ होती है। यह कीव ओपेरा और बैले थियेटर से एक चौराहे की दूरी पर नगर का पुराना प्रवेशद्वार ‘गोल्डन गेट’ है।

इस प्रवेशद्वार का निर्माण 11वीं सदी में ऊपरी नगर की किलेबंदी के रूप में यरोस्लव ने करवाया था। शिखर पर निर्मित ‘चर्च ऑफ दी अनंसिएशन’ की स्वर्णिम गुंबद के अनुरूप गेट का नाम भी ‘स्वर्णिम गेट’ रखा गया। 1240 ई में तातारों ने चर्च और गेट दोनों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। 1982 ई में मूल प्रारूप के आधार पर इन का नवनिर्माण किया गया। भीतर स्थित म्यूज़ियम में कीव के पुरातन तथा वर्तमान रूप का मिश्रण देखा जा सकता है।
गोल्डन गेट से वुलित्स्या व्लादिमिरिसका गली के उत्तर में यरोस्लव नगर है। रास्ते में KGB की अनुकृति SBU बिल्डिंग आती है। उससे थोड़ा आगे है ‘सेंट सोफिया कैथेड्रल’। बायीं तरफ कैथेड्रल की सुनहरी तथा हरी मीनारें दिखाई देती हैं। यह यरोस्लव का अद्वितीय, चित्ताकर्षक स्मारक है।

इसका निर्माण पेचेंग कबीले पर विजयप्राप्ति के उपलक्ष्य में करवाया गया था। बेजेंटाइन स्थापत्य शैली में निर्मित कैथेड्रल का प्रारूप और डिजाइन के साथ-साथ नाम भी कांस्टेनटीपोल स्थित हेगीया सोफिया पर आधारित है। यह तत्कालीन रस कीव की प्रभुसंपन्नता व वैभव का प्रतीक है। इसमें बसी है प्रारम्भिक रस कीव की आध्यात्मिक चेतना। यही नहीं यह पूर्वी स्लाव सभ्यता का अमूल्य कोष है। सेंट सोफिया कैथेड्रल, उससे सम्बद्ध संरचनाएँ तथा कीव पेचेर्स्क मठ परिसर- कीव की दो मध्यकालीन उत्कृष्ट संरचनाएँ तथा प्रारम्भिक सांस्कृतिक स्मारक हैं।
सेंट सोफिया कैथेड्रल व अन्य संरचनाएँ-
कीव के ऐतिहासिक केंद्र में स्थित सेंट सोफिया कैथेड्रल 11वीं सदी की आरंभिक कलात्मक स्थापत्यशैली का प्रतिनिधित्व कर रहे भव्य स्मारकों में से एक है। यूक्रेन की राजधानी कीव के प्रमुख ईसाई चर्च के रूप में इसका निर्माण राजकुमार यरोस्लव दी वाइज़ ने स्थानीय निर्माताओं तथा बेजेंटाइन वास्तुशिल्पियों के सहयोग से करवाया था। कैथेड्रल के भीतर राजकुमारों का राज्याभिषेक होता था। यहीं पर वे विदेशी अतिथियों का स्वागत करते तथा संधि प्रस्तावों पर हस्ताक्षर करते थे। कैथेड्रल के भीतर इतिहास लेखन की व्यवस्था थी तथा यरोस्लव द्वारा स्थापित लायब्रेरी है।
सेंट सोफिया कैथेड्रल गिने-चुने क्रूसाकार कैथेड्रलों में से एक है। केंद्र का मुख्य बिन्दु क्रास है। यह गुंबद पर स्थित है। प्रमुख केंद्रीय भाग क्रूसाकार भुजा के बेलनाकार चार मेहराबदार स्तंभों पर अवस्थित है। इस प्रकार की संरचनाओं का बेजेंटाइन शैली में निर्माण 11वीं सदी के अंत में हुआ था। पूर्व-पश्चिम दिशा में कैथेड्रल की लंबाई 41.7 मीटर तथा चौड़ाई उत्तर-दक्षिण में 54.6 मीटर है। कुल 2310 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है।
सेंट सोफिया के 13 गुंबदों में बनी खिड़कियों से भीतर प्रकाश जाने की व्यवस्था है। बेजेंटाइन चर्चों के इतिहास में इतने गुंबदों का निर्माण उल्लेखनीय है। कैथेड्रल की रूपरेखा पिरामिड के आकार की है।
18वीं सदी के आरंभ में कैथेड्रल का नवनिर्माण किया गया था। बाह्य गैलेरी की संरचनाओं में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन कर उन पर नए भव्य गुंबद निर्मित किए गए।
आंतरिक भाग-

कैथेड्रल का आंतरिक भाग भव्य नक्काशी और भित्तिचित्रों से अलंकृत है। कैथेड्रल के भीतर 271 वर्ग मीटर भाग की नक्काशी आज भी संरक्षित है जबकि मूल नक्काशीदार भाग 640 वर्ग मीटर में फैला है। इसी प्रकार 3,000 वर्ग मीटर में उत्कीर्ण भित्तिचित्र संरक्षित हैं जबकि आरंभ में वे 6,000 वर्ग मीटर में फैले थे।
कैथेड्रल के केंद्र में क्राइस्ट -प्रेटोक्रेटर की चित्ताकर्षक प्रतिमा है, उनके साथ चार दिव्य देवदूतों की प्रतिमाएँ हैं।

कैथेड्रल के आंतरिक भाग, अन्य भित्तिचित्रों तथा नक्काशी में ‘ओरण्टा’ (प्रार्थना में लीन वर्जिन) का भव्य चित्रण है। प्रतिमा छह फुट ऊंची है। ऊंचे चबूतरे पर स्थित बहुमूल्य रत्नों से अलंकृत प्रतिमा ने अपने दोनों हाथ ऊपर कर रखे हैं। नीले रंग का परिधान,सोने में लिपटा जामुनी रंग का शाल और लाल बूट पहन रखे हैं।कैथेड्रल में उत्कीर्ण चित्रों के मध्य ‘ओरण्टा’ का चित्र विशिष्ट भव्यता के साथ स्मारिका के रूप में खूबसूरत रंगों में चित्रित है।

सेंट सोफिया कैथेड्रल से बाहर आने का मार्ग 18वीं सदी में निर्मित बेल टावर से है। बायीं तरफ कुलपति व्लादमीर की समाधि तथा नव निर्मित स्क्वेयर के समीप है बेल टावर।

स्क्वेयर के मध्य 1888 ई में निर्मित अश्वारोही बोगदान ख्मोलिंसिकी की प्रतिमा स्थित है।
अपने पोते महान व्लादमीर के सिंहासनारूढ़ होने से 33 साल पहले राजकुमारी ओल्हा ने गुप्त रूप से ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था। 77 वर्ष बाद सफ़ेद संगमरमर से बनी राजकुमारी ओल्हा की प्रतिमा 1996 ई में स्क्वेयर में स्थापित की गयी। उसके साथ सेंट काइरिल,मेथोडियस तथा एंड्रयू की प्रतिमाएँ हैं।

ये प्रतिमाएँ नवनिर्मित बेल टावर और सेंट माइकेल कैथेड्रल की नूतन स्वर्णिम गुंबंदों के साथ स्थित हैं। 1937 ई में निर्मित इस स्क्वेयर में अब यूक्रेन का विदेश मंत्रालय स्थित ई।
मंत्रालय के बायीं तरफ व्लादमीर शहर है। व्लादमीर ‘महान’ ने सर्वप्रथम 10वीं शताब्दी में ईसाई धर्म को राजकीय धर्म घोषित किया था तथा ‘टिथे चर्च’ की स्थापना की थी। आय का दसवां भाग चर्च के निर्माण के लिए अनुदान स्वरूप देने के कारण चर्च का नाम ‘टिथे’ पड़ गया। यह रस कीव का पत्थरों से निर्मित पहला चर्च था। टिथे चर्च की स्थापना 989 ई में हुई थी। यहीं पर व्लादमीर की समाधि है।
एंड्रयू पहाड़ी पर निर्मित हमनाम सेंट एंड्रयू चर्च का भव्य डिजाइन इटली के प्रख्यात वास्तुकार रस्ट्रेली ने तैयार किया था। 18वीं सदी में सेंट पिटसबर्ग का डिजाइन भी उसी ने तैयार किया था।

यहाँ पर कीव की खूबसूरत , लोकप्रिय गलियाँ हैं। यह कलाकारों का प्रिय स्थान है तथा कैफ़े , स्मृतिचिन्ह खरीदने के लिए सर्वोत्तम स्थान है।
पेचेर्स्क मठ परिसर-

कीव नगर के केंद्र से लगभग 3 कि.मी दूर पेचेर्स्क मठ परिसर है। यहाँ पर 1051ई में स्थापित चर्च, गुफाएँ तथा संग्रहालय है। इस मनोरम स्थल का भ्रमण करने के लिए पूरा दिन भी कम है। यहाँ पर यूरोपीय स्क्वेयर से रास्ता जाता है। रास्ते में यूक्रेन की सुप्रीम काउंसिल का भवन है। उसके पीछे बराक शैली में निर्मित मेरिन्स्की राजप्रासाद है। ज़ार एलेक्ज़ेंडर द्वितीय और साम्राज्ञी मारिया के स्वागत के लिए 1868 ई में इसको नया रंग-रूप प्रदान किया गया था।
अरसेनलना मेट्रो स्टेशन के समीप है ‘जनवरी क्रान्ति स्ट्रीट’। यह स्ट्रीट मठ परिसर तक जाती है। मठ परिसर इनिपरो नदी तक फैला है। जंगलों से ढकी ढलानों पर ऊंचा सिर किए गुंबदों तथा मीनारों का समूह कीव की सर्वोत्कृष्ट, अविस्मरणीय दृश्यावली है। भूमि के नीचे मार्गों, चर्चों तथा गुफाओं के कारण इस स्थान का नाम पेचेर्स्क पड़ गया। 13वीं शताब्दी में तातारों के आक्रमण में मठ लगभग नष्ट हो गया था। फिर भी मध्यकाल में यह ओर्थोडोक्स ईसाई समुदाय का महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में पर्यटन केंद्र रहा। 18वीं शताब्दी में यूक्रेनियन बराक शैली में इसका नवनिर्माण किया गया।
मठ के ऊपरी भाग का प्रमुख प्रवेशद्वार भव्य अलंकृत ‘ट्रिनिटी चर्च से हो कर जाता है।

भीतर कैथेड्रल ऑफ एजंप्शन का 96 मीटर ऊंचा बेल टावर है। यहाँ से बायीं तरफ इनिपरो नदी के तट की मनमोहक दृश्यावली दिखाई देती है।दायीं तरफ ‘माँ मातृभूमि’ की विशाल स्मारिका है। द्वितीय विश्व युद्ध में कीव स्थित यूक्रेन म्यूज़ियम ऑफ हिस्ट्री में प्रदर्शित यह 62 मीटर ऊंची स्टील की विशाल प्रतिमा है। वज़न 560 टन है। माँ मातृभूमि प्रतिमा के दायें हाथ में तलवार तथा बायें हाथ में ढाल जिस पर सोवियत यूनियन का प्रतीक चिन्ह अंकित है।

स्मारक के संबंध में विवादास्पद विचार हैं लेकिन यह निर्विवाद तथ्य है कि एलिवेटर से ऊपर जाने के बाद दीखने वाली दृश्यावली अविस्मरणीय है। बेल टावर के साथ कैथेड्रल का भी नव निर्माण किया गया है।
सेंट निकोलास चर्च-

सेंट निकोलास चर्च कीव का दूसरा रोमन कैथोलिक चर्च है। इस समय इस भवन में रोमन कैथोलिक चर्च के अतिरिक्त ‘नेशनल हाउस ऑफ ऑर्गन एंड चैंबर म्यूज़िक’ भी विद्यमान है। कैथेड्रल का भ्रमण करते समय वहाँ पर संगीत प्रस्तुति मन को आनंदित कर देती है।
कीव नगर के केंद्र में स्थित पेजेज़्हन स्ट्रीट पैदल भ्रमण करने के लिए सर्वोत्तम स्थान है। आधुनिक शान-ओ-शौकत, शानदार प्लेग्राउंड , नयी आकृतियों में बिछी बेंचें, समकालीन सुन्दर प्रतिमाएँ स्ट्रीट को मनोहारी रूप प्रदान कर रही हैं। स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी विशिष्ट आकर्षण का केंद्र हैं। भ्रमण करते समय परिदेश जैसी अलौकिक अनुभूति होती है।
विशेष-
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर विश्व धरोहर कीव नगर का भ्रमण स्वयं में सुखद, रोमांचक अनुभूति है। प्रमुख यूरोपीयन हवाई उड़ानें -आस्ट्रियन,के.एल.एम, ब्रिटिश एयरवेज, लुफ्तहंसा नियमित रूप से कीव जाती हैं। अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट एयर यूक्रेन सभी यूरोपीय नगरों से जुड़ा है। इसलिए कीव पूरे विश्व के साथ सम्बद्ध है। कीव में बजट के अनुरूप खान-पान एवं आवास की सुविधा है। सर्दियों में जाते समय पर्याप्त गर्म कपड़े ले जाने अत्यावश्यक हैं।
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प्रमीला गुप्ता।