अतीत की स्मृतियों को हृदय में सँजोए रूस की राजधानी मास्को आज भी दुनिया के बड़े और खूबसूरत शहरों में से एक है। मास्को शहर मस्कवा नदी के तट पर बसा है। प्रमुख सड़कों ‘टिमस्कया उल’ तथा ‘उल नोवी आर्बेट’ के दोनों तरफ आधुनिक रूस की पहचान विशाल होटल और डिपार्टमेंटल स्टोर स्थित हैं।
रूस की प्राचीन सभ्यता, संस्कृति,आधुनिक विज्ञान और तकनीक का अपूर्व संगमस्थल है मास्को। एक तरफ ऊंची-ऊंची बहुमंज़िला इमारतें आधुनिकता की परिचायक हैं तो दूसरी तरफ पुरानी शान-ओ-शौकत और सभ्यता जीवंत है क्रेमलिन और रेड स्क्वेयर में। यहीं पर धड़कता है मास्को का दिल।
1990 ई में यूनेस्को की विश्व विरासत समिति ने क्रेमलिन और रेड स्क्वेयर को विश्व विरासत घोषित कर दिया था। रूसी भाषा में ‘क्रेमल’ का अर्थ है किला। अतः रूस में अनेक क्रेमलिन हैं लेकिन मास्को स्थित क्रेमलिन विश्वविख्यात है। पुरातत्त्वविदों के मतानुसार इस स्थान पर 500 ई पू भी मानव बस्तियाँ रही होंगी लेकिन मास्को से जुड़ा इतिहास 1147 ई से आरंभ होता है। उस समय प्रिंस यूरी डोलोगोर्की ने पहाड़ी पर लकड़ी के किले का निर्माण करवाया था। समय के साथ-साथ उसके आसपास लकड़ी से बने मकानों की बस्ती बस गयी। मंगोलों ने कई बार आक्रमण कर इसको ध्वस्त कर दिया लेकिन इसका विकास अनवरतरूप से होता रहा। शीघ्र ही यह एक शक्तिसम्पन्न राज्य बन गया।
14वीं सदी के अंत में क्रेमलिन (किले) में पत्थरों की इमारतों का निर्माण आरंभ हो गया था। ईवान-दी-ग्रेट (1462-1505)के शासनकाल में क्रेमलिन संगठित रूसी सत्ता का केंद्र बन गया था। 1458 ई में ईवान -दी-ग्रेट ने 69 एकड़ में फैले किले के चारों तरफ ईंटों की मजबूत दीवार बनवा दी थी। 2,235 मीटर लम्बी दीवार में 20 खूबसूरत टावर बने हुए हैं। क्रेमलिन राज्य और धर्म के आधार पर दो भागों में बंट गया था।
इस अंतराल में यहाँ पर अनेक भव्य चर्चों, तेरेम महल, राजप्रासाद का निर्माण हुआ। सोबोरन्या स्क्वेयर में ‘ईवान-दी-ग्रेट’ बेल टावर की स्थापना हुई। क्रेमलिन एक भव्य, चित्ताकर्षक रूप में उभर कर सामने आया। ईवान की भावी पीढ़ियों ने भी क्रेमलिन के विकास तथा विस्तार में उल्लेखनीय योगदान किया। पीटर-दी-ग्रेट द्वारा राजधानी को पिटसबर्ग में स्थानान्तरित किए जाने के बाद भी इस मध्यकालीन किले पर रूसी शासकों की छाप देखी जा सकती है। पीटर ने यहाँ पर आयुधागार निर्मित करवाया था। प्रारम्भ में यहाँ पर सैन्य संग्राहलय का निर्माण कार्य शुरू हुआ था लेकिन बाद में यहाँ पर सीनेट बिल्डिंग और ग्रेट क्रेमलिन पैलेस जैसी उत्कृष्ट संरचनाएँ निर्मित की गयी।
1917 ई की क्रान्ति के बाद क्रेमलिन को अपना खोया सम्मान पुनः प्राप्त हो गया। कम्युनिस्टकालीन विरासत अनेक सुरक्षात्मक गुंबदों व वर्तमान क्रेमलिन के ऊपर लाल सितारों के रूप में शोभायमान है। 27 हेक्टेयर भूमि पर फैला भव्य क्रेमलिन अब सार्वजनिक रूप से खुला है। पर्यटक इसके सौंदर्य को निहार सकते हैं। भीतर विशाल ज़ार बेल ( टूट चुकी है) और ज़ार तोप विशेष रूप से दर्शनीय है।
कैथेडरल-
क्रेमलिन के कैथेडरल स्क्वेयर में अनेक भव्य अलंकृत चर्च हैं। कुछ विशिष्ट दर्शनीय कैथेडरल हैं-
यूस्पेंसकी (Cathederal of Assumption)-
इसका निर्माण इतालवी वास्तुकार अरस्तू फियोरावतंकी ने 1475 ई में आरंभ करवाया था। 1479 ई में श्रद्धालुओं के लिए इसके द्वार खोल दिये गए थे। यह यूरोपीय पुनर्जागरण काल में बाइजेंटाइन शैली में निर्मित भव्य संरचना है। भीतर वर्जिन मेरी के जीवन से सम्बद्ध सुंदर भित्तिचित्र हैं। इसके अतिरिक्त एक त्रिमूर्ति भी है। 1991 ई से यह रूस के कुलपति का पितृसत्तात्मक कैथेडरल है।
घोषणा कैथेडरल (Cathederal of Annunciation)-
मास्को के राजकुमारों के निजी उपयोग के लिए इस कैथेडरल का निर्माण हुआ था। प्रारम्भ में कैथेडरल के ऊपर तीन गुंबद और गैलेरी थी। निजी चर्च होने के कारण निर्माताओं ने इसकी आधारशिला ऊंचाई पर बनवाई ताकि इसमें रॉयल पैलेस की दूसरी मंज़िल से प्रवेश किया जा सके। ‘ईवान-दी-टेरीबल’ ने चर्च को अधिक आकर्षक बनाने के विचार से इसमें चार अतिरिक्त छोटे गिरिजाघरों का निर्माण करवाया। परिणाम ‘ईवान-दी-टेरीबल के नाम के अनुरूप टेरीबल हुआ। इमारत का संतुलन बनाए रखने के लिए दो और गुंबदों का निर्माण करवाना पड़ा। यह चर्च पूर्वनिर्मित चर्चों की तुलना में श्रेष्ठ माना जाता है
Archengal Cathederal-
यह कैथेडरल घोषणा कैथेडरल से आगे है। पत्थर से निर्मित इस कैथेडरल का डिजाइन इतालवी वास्तुकार अलेविज ने तैयार किया था। इस कैथेडरल में राजकुमारों तथा ज़ार का राज्याभिषेक होता था, विवाह सम्पन्न होता था और मृत्यु के बाद दफनाया जाता था। यहाँ पर शाही परिवार के सौ से अधिक सदस्यों के समाधि स्थल हैं।
12 देवदूतों का चर्च (Twelve Apostles Church)-
यह चर्च पेट्रीआर्क पैलेस का एक भाग है। पहले यह किले का ही भाग था। ज़ार शासन में इस को दैनिक प्रार्थना के लिए इस्तेमाल किया जाता था। केवल विशिष्ट अवसरों पर ही सामूहिक प्रार्थना सभा आयोजित की जाती थी।
बेल टावर ऑफ ईवान-दी-ग्रेट-
यह क्रेमलिन का प्रमुख आकर्षण है । इसके निर्माण की परिकल्पना ईवान-दी-ग्रेट ने की थी। निर्माण बोरिस गोडुनोव ने करवाया था। किंवदंती के अनुसार बोरिस गोडुनोव ने इसका निर्माण सिंहासन के वैध उत्तराधिकारी प्रिंस दिमित्री की हत्या का पश्चाताप करने के लिए करवाया था। बोरिस ज़ार घोषित किया गया था लेकिन जनसामान्य की दृष्टि में वह अयोग्य था। घंटाघर ऊंचा उठने के साथ-साथ जब हिलने लगता था तब लोग खुश होते थे। उनको लगता था कि घंटे के साथ-साथ ज़ार की गद्दी भी हिल रही है। लेकिन न तो ज़ार की गद्दी हिली और न ही बेल टावर गिरा। आज भी बेल टावर क्रेमलिन की सर्वोच्च संरचना के रूप में उन्नत मस्तक किए खड़ा है। इसका वज़न है 200 टन। समीप ही रखी है ‘ज़ार कैनन’। दुनिया की सबसे बड़ी तोप। हैरानी की बात यह है कि इस तोप ने कभी गोला नहीं उगला।
पैलेस ऑफ फेसट्स –
ईवान तृतीय को नवनिर्माण में अत्यधिक रुचि थी। उसके द्वारा निर्मित करवायी गयी संरचनाओं में यह सर्वाधिक भव्य है। मास्को की अन्य संरचनाओं के विपरीत यह पैलेस इटली के पुनर्जागरण काल की विशुद्ध स्थापत्यशैली में निर्मित है। इसका डिजाइन रुफ़ो एवं सोलारी ने तैयार किया था। यहाँ पर ज़ार विदेशी राजदूतों व अन्य अतिथियों का स्वागत करते थे। इस पैलेस की शान-ओ-शौकत देखते ही बनती है। स्वर्णिम पृष्ठभूमि पर सुंदर भित्तिचित्र उत्कीर्ण हैं।
कैथेडरल ऑफ डिपोज़िशन ऑफ रोब’ उपसेन्सकी कैथेडरल और पैलेस ऑफ फेसट्स के बीच एक निजी चर्च निर्मित है। 1653 ई में इसको रोमनोव परिवार ने निजी इस्तेमाल के लिए अधिग्रहण कर लिया था।
आर्मरी संग्रहालय-
मास्को के क्रेमलिन में स्थित आर्मरी संग्रहालय में विश्व का सर्वोत्कृष्ट, अमूल्य शाही खजाना संग्रहीत है। यहाँ पर शाही घरानों का साजोसामान, रत्नजड़ित वस्त्र, आभूषण,हथियार इत्यादि संग्रहीत हैं। उल्लेखनीय हैं- ‘कैप ऑफ मोनोमारव’। ज़ार इसको पहन कर ही सिंहासन पर बैठता था। यहीं पर रखी हुई है महारानी कैथेरीन द्वितीय की दुल्हन की पोशाक ।
डायमंड फंड-
यह आर्मरी संग्रहालय में स्थित पृथक प्रदर्शनी है। इसमें प्रदर्शित बहुमूल्य हीरे-जवाहरात से जड़े मुकुटों की तुलना ब्रिटेन तथा ईरान के रत्नजड़ित मुकुटों से की जा सकती है। कैथेरीन-दी-ग्रेट के शाही मुकुट तथा आने वाले सम्राटों का 5,000 हीरों जड़ा मुकुट भी रखा है। सात बहुमूल्य ऐतिहासिक तथा विश्व प्रसिद्ध रत्न देख कर भी आँखें चौंधिया जाती हैं।
ग्रेट क्रेमलिन पैलेस-
उपरोक्त पैलेस क्रेमलिन में प्राचीनतम है लेकिन समय के साथ-साथ नए भवनों का निर्माण भी होता गया। कान्स्टेंटाइन थोन ने नए ग्रेट क्रेमलिन पैलेस का निर्माण करवाया था। यह तेरेम पैलेस के ठीक सामने है। यह पारम्परिक काष्ठ संरचना है। इसमें सबसे पहले माइखेल रोमानोव (1613-1645) का परिवार रहा। ज़ार बनने से पहले रोमानोव एक कुलीन परिवार का सदस्य था।
क्रेमलिन के पूर्वी भाग में सरकारी भवन हैं। विशिष्ट हैं-18वीं सदी में निर्मित मास्को डिपार्टमेन्ट ऑफ दी सीनेट। यद्यपि क्रेमलिन की सभी संरचनाएँ तथा 20 टावर चित्ताकर्षक व दर्शनीय हैं तथापि दक्षिणी दीवार का ‘टावर ऑफ सीक्रेट्स’ सदियों से विद्वानों के लिए शोध का विषय रहा है। कहा जाता है कि यहाँ से नदी तक जाने के लिए भूमिगत मार्ग है; एक अन्य कथन के अनुसार यहाँ पर ‘ईवान-दी- टेरीबल’ का पुस्तकालय था। उसकी नानी/दादी सोफिया ने यहाँ पर पुस्तकों का संग्रह करना शुरू किया था। वह दहेज में अपने साथ दुर्लभ पुस्तकों की पांडुलिपियाँ लायी थी। माना जाता है कि क्रेमलिन की दीवार में अभी भी पुस्तकालय विद्यमान है। रहस्य बरकरार है।
रेड स्क्वेयर –
क्रेमलिन की दीवार को छू कर बाहर निकलना सौभाग्य तथा सुरक्षित वापसी का सूचक माना जाता है। क्रेमलिन के पूर्व में रेड स्क्वेयर है। यहाँ पंहुचने के लिए ट्रिनिटी गेट से बाहर निकल कर घूम कर आना पड़ता है। अलेक्ज़ेंड्रोवस्की गार्डन से बाहर आने पर मिलती है ‘अज्ञात सैनिक की समाधि’। बायीं तरफ की लाल इमारत में ऐतिहासिक संग्रहालय है। इसमें रूसी इतिहास को दर्शाती अतीत की दुर्लभ शिल्पाकृतियाँ रखी हैं।
मूल रूप से रेड स्क्वेयर क्रेमलिन की सुरक्षा के लिए खंदक के रूप में स्थित था। बाद में इसको भर कर समतल बनाया गया व पत्थर लगा कर पक्का कर दिया गया। शुरू-शुरू में पूरी दुनिया के व्यापारी यहाँ पर लकड़ी का व्यापार करते थे। 1737 ई के भीषण अग्निकांड में पुराना शहर नष्ट हो गया।
सामान्य धारणाओं के विपरीत रेड स्क्वेयर का नाम यहाँ की लाल बिल्डिंगों से सम्बद्ध नहीं है। अपितु इसका संबंध कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतीक लाल रंग से है। आरंभ में यह ट्रिनिटी स्क्वेयर के नाम से जाना जाता था। 17वीं शताब्दी में रूसी लोगों ने इसको ‘क्र्सन्या प्लोशाड’ नाम से पुकारना शुरू कर दिया। पुरानी रूसी भाषा में ‘क्रसन्या’ का अर्थ सुंदर था जो बाद में लाल हो गया। फलस्वरूप यह ट्रिनिटी स्क्वेयर के स्थान पर रेड स्क्वेयर के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
सेंट बेसिल कैथेडरल –
रेड स्क्वेयर स्थित सेंट बेसिल कैथेडरल मास्को की उसी प्रकार पहचान है जिस प्रकार पैरिस की पहचान ‘एफिल टावर’; लंदन की पहचान ‘बिग बेन’। किंवदंती के अनुसार ईवान-दी-टेरीबल ने इसका निर्माण करने वाले सभी शिल्पियों को अंधा करवा दिया था ताकि वे दोबारा ऐसी संरचना का निर्माण न कर सकें। ईवान ने रेड स्क्वेयर तथा मास्को में अनेक संरचनाओं का निर्माण करवाया। सेंट बेसिल कैथेडरल ‘ कैथेडरल ऑफ वेल’ के नाम से भी जाना जाता है। ईवान ने इसका निर्माण तातारों पर विजय के उपलक्ष्य में करवाया था। प्रत्येक विजय प्राप्ति के बाद (कुल नौ) इसमें एक नए गिरजाघर का निर्माण होता था। प्रत्येक गिरजाघर का नाम तत्कालीन संत के नाम पर रखा जाता था। ऊपरी स्वर्णिम गुंबद का नाम तत्कालीन संत बेसिल पर रखा गया था। संत बेसिल ने 1547 ई के भीषण अग्निकांड की भविष्यवाणी की थी। अपने भव्य गुंबदों, शिखरों और मेहराबों के कारण सेंट बेसिल रूस की सर्वाधिक भव्य और आकर्षक संरचना है।
स्मारक-
1930 ई में बोल्शेविक क्रान्ति के प्रणेता तथा सोवियत राज्य के संस्थापक लेनिन को रेड स्क्वेयर के पश्चिमी छोर पर दफनाया गया था। उसी वर्ष कुज़्मा मिनिन तथा प्रिंस दिमित्री पोज़ास्की को सम्मानित करने के विचार से उनको सेंट बेसिल कैथेडरल से ला कर रेड स्क्वेयर के मध्य समाधिस्थ किया गया। निकोलस्क्या तथा सेंटेसक्या के बीच क्रेमलिन दीवार का क्षेत्र सोवियत राजनीतिज्ञों, प्रसिद्ध व्यक्तियों तथा राजनेताओं का समाधिस्थल है। यहाँ पर मैक्सिम गोर्की, लेनिन की पत्नी न्देजदा कृप्स्क्या, अन्तरिक्ष यात्री यूरी गैगरीन ,आण्विक भौतिक शास्त्री कुरचाटोव तथा जॉन रीड की समाधियाँ हैं।
शताब्दियों तक रेड स्क्वेयर सार्वजनिक मार्केट तथा जनसामान्य का मिलन स्थल रहा। अनेक भाषण,प्रदर्शन, पैरेडस तथा विशाल भीड़ देखी। 16वीं शताब्दी में निर्मित चबूतरे पर खड़े हो कर भाषण दिये जाते थे। ज़ार यहाँ पर खड़े हो कर जनता को संबोधित करते थे। राजद्रोहियों का यहाँ जनता के सामने सिर कलम किया जाता था। रेड स्क्वेयर आधिकारिक सैन्य परेडों, सोवियत सैन्य शक्ति के प्रदर्शन का प्रमुख स्थल है।
सोवियत यूनियन के पतन के बाद भी रेड स्क्वेयर रूस के सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न अंग तथा पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। यहाँ का विशाल GUM डिपार्टमेंटल स्टोर सोवियत कालीन प्रतीक चिन्ह के रूप में पूरे पूर्वी छोर पर फैला है। यह खरीददारी के लिए सर्वोत्तम स्थान है।
आज भले ही लेनिन के स्मारक के सामने लोगों की भीड़ न दिखाई दे,रेड स्क्वेयर में आयोजित रंगारंग कार्यक्रमों, उत्सवों को देखने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं कि मास्को का दिल रेड स्क्वेयर तथा क्रेमलिन में धड़कता है। इनके अतिरिक्त भी मास्को के बदलते परिवेश में देखने के लिए बहुत कुछ है।
मास्को के लिए दिल्ली,मुंबई से एरोफ़्लोट व एयर इंडिया की उड़ानें जाती हैं। बजट के अनुरूप खान-पान व आवास की समुचित व्यवस्था है।
==================================